Hindi grammar class 10 seba
व्याकरण
1. लिंग
जिस संज्ञा शब्द से किसी पुरुष या स्त्री जाति का बोध होता है. उसे लिंग कहते है। मुख्यतः लिंग के दो भोद है- (क) पुल्लिंग (ख) स्त्रीलिंग।
(1) पुल्लिंग- जिस संज्ञा शब्द से पुरुष जाति का बोध होता हो, उसे पुल्लिंग कहते हैं। उदाहरण- लड़का, मोहन, थैला, कुत्ता, बैल आदि।
(2) स्त्रीलिंग- जिस संज्ञा शब्द में स्त्री जाति का ज्ञान होता है, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं। उदाहरण- लड़की, लज्जा, नारी, सुंदरता आदि।
प्रश्न 1. लिंग परिवर्तन करो : (स्त्रीलिंग के रूप लिखो):
- माता – पिता
- पुरुष – स्त्री [HSLC-2016]
- बर – बध [HSLC-2020]
- नायक – नायिका -[HSLC-‘16,19]
- ठाकुर – ठाकुराइन [HSLC-2018]
- महाशय – महाशया
- अभिनेता – अभिनेत्री
- कवि – कवयित्री [2016,18]
- गायक – गायिका
- पुत्र – पुत्री
- देव – देवी
- भाई – बहन
- बालक-बालिका [HSLC-17]
- सम्राट -सम्राज्ञी
- अध्यक्ष -अध्यक्षा [HSLC-’17]
- हाथी-हाथिनी
- बालक -बालिका
- सिंह-सिंहनी
- मोर-मोरनी
- बाघ- बाघिनी [HSLC-17]
- दादा-दादी
- नाना-नानी
- बान्दर-बन्दरी [HSLC-2020]
- शेर-शेरनी
- मामा-मामी [HSLC-2020]
- कुमार-कुमारी
- ठाकुर-ठाकुराइन [HSLC-’15]
- नट-नटी [HSLC-14]
- आदमी-औरत
- साधु-साधुआइन
- राजा-रानी [HSLC-2018]
- सेठानी-जेठानी [HSLC-14]
- आचार्य-आचार्या
- साँप-साँपिन .. चौधुराईन
- लाला-लालाइन
- नाई-नाईन
- महोदय -अभिनेत्री [HSLC-’15]
- दास-दासी
- चमार-चमारिन [HSLC-15]
- साला-साली [HSLC-14]
- सेठ-सेठानी
- जेठा-जेठानी |HSLC-14]
- आचार्य-आचार्या
- तेली-तेलीन
- चैधुरी-चौधुराईन
- साँपिन
- नाई-नाईन
- बाबू-बाबुआइन
- धोबी-धोबिन [HSLC-15]
- महोदय-महोदया
- अभिनेता-अभिनेत्री [HSLC-’15]
- दास-दासी
- नर्तक – नर्तकी [HSLC-15]
- चमार-चमारिन [HSLC-’15]
- नर कौआ-स्त्री कौआ [HSLC- ’17,’18]
- विद्वान-विदुषी [HSLC-’15]
- माली-मालिन [HSLC-16,18,19]
- नर-नारी [HSLC-’17, 20]
- नाना नानी [HSLC-’17]
प्रश्न 2. लिंग निर्णय करो:
- पक्षी पुलिंग
- आहत-स्त्रीलिंग
- सेना स्त्रीलिंग
- बात-स्त्रीलिंग
- नगर पुलिंग
- छात्रबास-पुलिंग
- प्रजा स्त्रीलिंग
- पुलिस-स्त्रीलिंग
- लोहा-पुंलिंग
- पापड -स्त्रीलिंग
- नमक-स्त्रीलिंग
- दीपक-स्त्रीलिंग
- बंदरिया-स्त्रीलिंग
- भालु-पुलिंग
- पर्वत-पुलिंग
- हाथ-पुलिंग
- संतान-स्त्रीलिंग
- किताव-पुलिंग
- भात-पुंलिंग
- सभा-स्त्रीलिंग
- ग्रंथ -पुंलिग
- द्रेन -स्त्रीलिंग
- जड-स्त्रीलिंग
- जलेबी -स्त्रीलिंग
- आम-पुलिंग
2. वचन
संज्ञा सर्वनाम, विशेषण तथा क्रिया के जिस रूप से संख्या का जान हो उसे वचन कहते हैं।
वचन दो प्रकार के होते है- (क) एकवचन, (ख) बहवचन।
1. एकवचन- विकारी शब्द में जिस रूप से एक पदार्थ या व्यक्ति का ज्ञान होता है, वह एकवचन कहलाता है। उदाहरण- हिरण, बालक, औरत, मोर, मनुष्य आदि।
2.बहवचन-विकारी शब्द के जिस रूप से अधिक पदार्थों या व्यक्तिों का ज्ञान होता है, वह बहुवचन कहलाता है। उदाहरण- औरतें, घोड़ें, मनुष्यों, गायें, बालकों आदि।
एकवचन से बहुवचन में बदलने के कुछ नियम
(1) एकवचन संज्ञा शब्द के अन्त में ‘एँ’ लगाने पर बहुवचन बनता है। उदाहरण-
एकवचन—-बहुवचन
शाखा———शाखाएँ
वार्ता———–वार्ताएँ
लता———-लताएँ
(2) अकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों का बहुवचन संज्ञा में अंतिम ‘अ’ के स्थान पर ‘एँ’ लगा देने पर
उदाहरण-
एकवचन———बहुवचन
बात—————-बातें
आदत————–आदतें
(3) स्त्रीलिंग संज्ञाओं के अन्त में ‘या’ के ऊपर चन्द्र बिन्दु लगाने पर बहुवचन बनता है।
उदाहरण–
एकवचन————–बहुवचन
चिड़िया—————— चिड़ियाँ
डिबिया—————–डिबियाँ
(4) एकारान्त संज्ञाओं में अन्तिम ‘आ’, ‘ए’, ‘अ’ के स्थान पर’ओ’ लगाकर बहुवचन बनता है। उदाहरण—-
एकवचन———–बहवचन
गधा—————–गधे
चोर——————–चोरों
3. कारक
प्रश्न 1. कारक किसे कहते है? उसके प्रकार भेद सोदाहरण लिखो।
उत्तर : संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य के अन्य शब्दों के साथ उनका सम्बंध सूचित हो, उसे ‘कारक’ कहते है।
हिन्दी में कारक आठ प्रकार के है। यथा
कर्ताकारक – श्याम ने मिठाई खाई।
कर्मकारक – शिकारी ने बाघ मारा।
करणकारक – वह कुल्हाड़ी से वृक्ष काटता है।
सम्प्रदानकारक – हरि ने मोहन को रूपये देता है।
अपादानकारक – हिमालय से गंगा निकलती है।
सम्बंधकारक – राम की किताब।
अधिकरणकारक – नाव जल में तैरती है।
सम्बोधोंनकारक- है भगवान! मेरी रक्षा कीजिए।
4.संधि
सन्धि : दो वर्णो के मेल से होनेवाले विकार को संधि कहते हैं। संधि तीन प्रकार के है। जैसे-(क) स्वरसंधि, (ख) व्यंजन संधि, और (ग) विसर्ग संधि।
स्वर संधि
शिव + आलय = शिवालय,
भोजन + आलय = भोजनालय,
अति + अधिक = अत्यधिक [HSLC-15]
गिरि + इन्द्र – गिरीन्द्र, [HSLC-2019]
गिरि + ईश = गिरीश्य,
नर + इन्द्र = नरेंन्द्र [HSLC-’15],
मही + इन्द्र – . महीन्द्र [HSLC-’17],
अति + उत्तम = अत्युत्तम [HSLC-‘17,19],
नौ + इक = नाविक [HSLC-’17],
गिरि + ईश = गिरीश,
नर + इन्द्र = नरेन्द्र [HSLC-2015]
सदा + एव = सदैव। [HSLC-2015,19]
तथा + एव = तथैव,
ईश = रमेश, (SEBA Model)
एक + एक = एकैक।
मत आचार – सदाचार,
उत+लास उल्लास [HSLC. 16]
व्यंजन संधि
जगत + नाथ = जगन्नाथ, [HSLC-16]
किम + चित = किञ्चित
गम = संगम,
सदा + एव = सदैव [HSLC-2015],
परि + आवरण : पर्यावरण [HSLC-2015],
महा + आशय = महाशय [HSLC-2017]
विसर्ग संधि
निः + चय = निश्चय,
निः + तार = निस्तार,
तपः + वन = तपोवन
निः + धन = निर्धन [HSLC-2014]
मनः + रथ = मनोरथ।
प्रश्न 1. संधि-विच्छेद करो :[HSLC-2020]
परमार्थ, यथोचित, स्वागत, अत्यन्त
परम + अर्थ = परमार्थ
यथा + उचित = यथोचित
सु + आगत = स्वागत
अति + अन्त = अत्यन्त
5. समास
प्रश्न : निम्नलिखित विग्रह वाक्य का समास निर्णय करो:
गौरी और शंकर = गौरीशंकर (द्वन्द्व समास)
शिव और पार्वती = शिवपार्वती(द्वन्द्व समास)
तीन भुवनों का समाहार = त्रिभुवन (द्विगु समास)
पाँच वटों का समाहार = पंचवटी(द्विगु समास)
नव रत्न के समान = नवरत्न (कर्मधारय)
नर सिंह के समान = नरसिंह (कर्मधारय)
गृह को आगत = गृहागत (तत्पुरूष समास स आच्छन्न = मेघाच्छन्न (तत्पुरूष समास)
माप – उपकूल (अव्ययीभाव समास)
अनुसार = यथाशक्ति (अव्ययीभाव समास)
कुल के समीप = उपकूल (अव्य शक्ति के अनुसार = यथाशक्ति समास
6.उपसर्ग
उस शब्दांश या अव्यय को कहते हैं, जो किसी शब्द के पहले आकर उसका विशेष अर्थ प्रकट करता है, जैसे- धर्म शब्द के पूर्व ‘अ’ उपसर्ग जोड़े जाने से नया यौगिक शब्द ‘अधर्म’ बना। सुव्यवहार (सु +वि +अब + हार) निरभिमान (निर + अभि + मान), दुष्प्रयोग (दुष + प्र+ योग)।
संस्कृत-हिन्दी उपसर्ग :
उपसर्ग ——–अर्थ————– शब्द रूप
अनु (क्रम, पश्चात, समानता)- अनुकरण, अनुचर, अनुक्रम, अनुरूप, अनुकूल, अनुवाद, अनुशासन, अनुज, अनुस्वार इत्यादि। [HSLC-2016,’18] .
अभि (समीप्य, अधिक्य, ओर, इच्छा प्रकट करना)- अभियान, अभिभावक. अभिप्राय, अभिसार, अभिनव, अभ्यागत, अभ्यास, अभिलाषा, अभिशाप, अभियोग, अभिमान, अभ्युदय, अभिमुख इत्यादि।
उप (सदृश, निकटता, हीनता, गौण, सहायक) उपकुल, उपदेश, उपमंत्री, उपनाम, उपभेद, उपकार, उपनिवेश, उपस्थिति, उपवन, उपासना इत्यादि। [HSLC-2019]
दूर् (दुस्, कठिन, हीन, बुरा, दुष्ट)- दुर्दशा, दुर्जन, दुर्दमनीय, दुस्साहस, दुःसाध्य, दु:सह, दुर्गम, दुरावस्था, दुर्लभ, दुर्लघ्य, दुराचार, दुष्कर्म, इत्यादि।
परा– (नाश, उलटा, अनादर)- पराक्रम, परामर्श, पराजय, पराभव, पराभूत इत्यादि। HSLC-2016, ’18, 19]
प्र (आगे, अधिक, यश, ऊपर)- प्रख्यात, प्रबल, प्रयोग, प्रसार, प्रकाश, प्रस्थान, प्रमाण, प्रसिद्धि, प्रपंच इत्यादि।
[HSLC-2017, ’20]
सु (अच्छा भाव, सुंदर, सुखी, सहज) सुगम, सुकर्म, सुकृत, सुदूर, सुभाषित, सुकवि, सुजन इत्यादि।
दु (हीन, बुरा)- दुबला दुकाल आदि।
कम (थोड़ा, हीन)- कमख्याल, कमउम्र, कमसिन इत्यादि।
आ– (समेत, तक)- आजीवन, आसक्त, आजन्म, आदान; आमरण इत्यादि।
अधि (श्रेष्ठ, ऊपर)- अधिकरण, अधिनायक, अधिपति, अधिकार, अध्यक्ष इत्यादि।
अप (लधुता)- अपमान, अपराध, अपकार।[HSLC- 20]
अति (उपसार)- अतिशय, अत्युक्ति, सुगन्ध, सुपुत्र, सुयश इत्यादि ।
अभि (सामने)- अभिलाषा, अभियोग, अभिमान इत्यादि।
परि (चारों ओर) परिभ्रमण, परिचय, परिपूर्ण, परिक्रमा इत्यादि।
अ (निषेध)– अपढ़, अकाल, अभाव इत्यादि।
अध (आधा) अधकच्चा, अधसेरा।
कु, क (बुरा)- कुपात्र कुकर्म।
ना (अभाव)- नालायक, नाराज।
बा (साथ)- बाकायदा।
ला (बिना) लापरवाह, लाचार।
हर (प्रत्येक)- हर साल, हर रोज।
सर (मुख्य)- सरताज, सरदार, सरगना आदि।
हर (प्रति)- हरदम, हररोज, हरतरफ, हरेक आदि।
7. प्रत्यय
प्रत्यय जुड़ने पर शब्द सन्धि की भाँति जुड़ जाते हैं। कभी-कभी उनके स्वरों में विकास उत्पन्न हो जाता है, जैसे- कृ + अ = कर, कार।
आहट-चिल्लाहट, घबराहट, जगमगाहट आदि।
अनीय– दर्शनीय पठनीय, पूजनीय, वन्दनीय, अनुकरणीय। (
ई– माधुरी, मौसी, हँसी, चातुरी।—[HSLC-2014, 20]
ती– सोती, खाती, घटती, चढ़ती।
ता– लघुता, कविता, मधुरता, सुन्दरता। . [HSLC-2016,’18, 20]
अयन– रामायण, रसायन, नारायण। वाला, वाली- पानीवाला, दूधवाला, सब्जीवाला, साइकिलवाला।
त्व– स्वत्व, कवित्व, महत्त्व, गुरुत्व। [HSLC-2017, 19]
आपा– रंडापा, बुढ़ापा, मुटापा।
शील– कर्मशील, मननशील, अध्ययनशील।
इम– अग्रिम, अन्तिम, अरुणिम।
त्र– सर्वत्र, यत्र, तत्र, एकत्र।
ईला– जहरीला, चमकीला, रंगीला, रौबीला आदि।
इया– धुनिया, चुहिया, पिढ़िया, खटिया।
कृदन्त– वे प्रत्यय जो क्रिया या धातु के अंत में प्रयुक्त होते हैं, ‘कत’ प्रत्यय कहलाते हैं।
कृत प्रत्यय के पाँच प्रकार-
1. कर्तृ वाचक– पाठ + अक = पाठक।
2. कर्म वाचक – खिल + औना = खिलौना।
3. करण वाचक – बेल + अन = बेलन।
4. भाव वाचक– लग + आव = लगाव।
5. क्रिया बोधक– लिखा हुआ।
संज्ञा से- मथुरा + इया = मथुरिया।
सर्वनाम से– आप + का = आपका।
विशेषण से- हल्का + पन = हल्कापन।
क्रिया विशेषण से- बहुत + आयत = बहुतायत ।
8. पर्यायवाची शब्द
जिन शब्दों के अर्थ में समानता होती है, उन्हें पर्यायवाची शब्द कहते हैं।
1. अमृत– पीयूष, अमी, अमिय, सुधा, सोम। [HSLC-2020]
2. आँख– ईक्षण, चक्षु, नयन, लोचन, नेत्र, अक्षि, दृग।।
3. ईश्वर-प्रभु, परमेश्वर, परमात्मा, जगत्पिता, अगोचर, अलख, जगदीश्वर।
4. कमल– पंकज, नीरज, पद्म, जलज, सरोज, पुण्डरीक, अरविंद, शतदल।
5. किरण– आभा, मयूख, अंशु, मरीचि, रश्मि।
6. कामदेव– मदन, काम, मनसिज, रतिसखा, मीनकेत, पुष्पचाप, पंचशर।
7.कोयल-पिक, परभूत, वसन्तदूत, कोकिल।
8. गणेश– गजानन, विनायक, लम्बोदर, गणपति, मोदकप्रिय । [HSLC-17, 20]
9. चंद्रमा– चाँद, सुधांशु, निशाकर, शशि, सुधाकर, राकेश, सोम, इन्दु।।
10. घोड़ा– हय, घोटक, सैन्धव, तुरंग। ।
11. चाँदनी– ज्योत्स्ना. चंद्रप्रभा. कौमदी, चन्द्रिका।
12. जमुना– कालिन्दी, यमुना, तरणिजा, अर्मजा।
13. जल– नीर, तोय, सलिल, वारि, रस, सारंग।
14. तलवार– खड्ग, असि, चंद्रहास, करवाल। [HSLC-2015]
15. तालाब– सरोवर, तड़ाग, पुष्कर, पद्माकर, ताल, सर।
16. आग– अग्नि, हुताशन, अनल, पावक, कृषानु [HSLC-2015]
17. बंदर– कपि, मर्कट, वानर, शाखामृग। [HSLC-2015]
18. पवन– वायु, हवा, समीर, मरुत्, समीरण, बात। [HSLC-15,MQ]
19. मछली– मत्स्य, मीन, सफरी, जलजीवन । [HSLC-2015]
20. गाय– – गो, गाभी, पृथ्वी
21. आकाश-काश- घो, गगन, अभ्र, अम्बर, नभा
22. पुस्तक– नक- ग्रन्थ, किताव। [HSLC-2018]
23. कपड़ा– डा- चीर, वसन, वस्त्र, पट । [HSLC-2016]
24. नदी– सरिता, तटिनी, तरङ्गिणी, निम्मगा। [HSLC-2016]
25. पर्वत-शैल, अचल, गिरि, नग, अद्रि। [HSLC-2016,17]
गो. घो। ग्रन्थ चीर, वसा सरिता. त
27. बिजली28. धरती
9.विलोम शब्द / विपरीतार्थक शब्द
- परस्पर विपरीत शब्द का बोध कराने वाले शब्द को विलोम शब्द कहे जाते हैं।
- शब्द —————विलोम
- अवनति———– उन्नति
- आरोह ————–अवरोह
- अदोष —————-सदोष
- आदान—————-प्रदान
- अत्यधिक———– स्वल्प
- आदि—————–अन्त
- अंगीकार ————-अस्वीकार
- ईश्वर =————जीव
- अंधकार————- प्रकाश [HSLC-2018]
- उदात्त—————- अनुदात्त
- अपमान =————–सम्मान
- उत्तम—————-अधम
- तम ——————–प्रकाश
- क्षमा——————— अग्रज
- जय——————— पराजय
- तरल——————— कठिन
10. अनेक शब्दों के लिए एक शब्द
- जो अभिनय करता है = अभिनेता [HSLC-2014]
- जिसकी उपमा नहीं है = अनुपम [HSLC-2014, 19]
- जो खाने योग्य होता है = खाद्य [HSLC-2014]
- जो शिव की उपासना करता है – शौव [HSLC-2014,19 ]
- जिसका आदि न हो = अनादि
- जिसकी ईश्वर में विश्वास हो = आस्तिक [HSLC-2017]
- जो पहले हुआ था = भूतपूर्व। …
- जो किये हुए उपकार को माने – कतज।
- जो किये हुए उपकार को न माने – कृतघ्न।
- अपने पर जो बीती हो – आपबीती।
- जो दर्शन का विद्वान हो .. दार्शनिक
- जो नगर में रहता हो – नागरिक।
- जिसमें बल न हो – निर्बल।
- जिसका आकार न हो – निराकार।
- जिसे लज्जा न हो – निर्लज्ज ।
- बुरी संगत में रहने वाला – कुसंगी।
- जिसका वर्णन करना कठिन हो- अवर्णनीय।
- जो मनुष्य से न हो सके – अमानुषिक।
- जो वध के योग्य न हो – अवध्य।
- जो दिखाई न दे – अदृश्य ।
- जो मांस खाता हो = मांसाहारी।
- जिसकी तुलना न हो – अतुलनीय।
- जिसकी थाइ (गहराई) न पाई जा सके – अथाह।
- जो दिखाई न दे अदृश्य।
- ऐसा निवास जिसका किसी को पता न हो – अज्ञातवास ।
- जिसे कभी जरा न आये – अजर।
- जिसका कोई शत्रु पैदा न हुआ हो = अजातशत्रु । [HSLC-2018]
- सबके मन को जानने वाला अन्तर्यामी।
- जिसका आदि न हो = अनादि।
- जिसके समान (दूसरा) कोई न हो – अद्वितीय।
- जो पहले कभी न सुना गया हो – अश्रुतपूर्व ।
- जो पहले न हुआ हो – अभूतपूर्व ।
- जो अपने स्थान से न टले = अटल।
- रात में घूमने चाला = निशाचर।
- जिसकी चार भुजाएँ हों – चतुर्भुज।
- जिसके हाथ में चक्र हो – चक्रपाणि।
- युद्ध में स्थिर रहने वाला – युधिष्ठिर।
- जिसका उदर लंबा हो = लम्बोदर।
- पत्नी के साथ = सपत्नीक।
- जो सब कुछ जानता है – सर्बज्ञ । [HSLC-16]
- जो एक साथ पढं हों सहपाठी।
- कम बोलने वाला = अल्पभाषी।
- जिसे अक्षर का ज्ञान हो = साक्षर।
- जिसका माँ-बाप न हो = अनाथ।
- दान के बदले किया गया दान = प्रतिदान।
- जो काम करने में कठिन हो – दुष्कर।
- जिसने इंद्रिय को जीत लिया है = जितेन्द्रिय।
- जिसे दण्ड देना उचित हो = दण्डणीय।
- जिसकी उपमा न हो = अनुपम।
- जो सम्पत्ति पिता से प्राप्त हो = पैतृक।
- गो का पालन करने वाला = गोपालक [HSLC-2015, 17]
- जानने की इच्छा = जिज्ञासा [HSLC-2016]
- जिसका निबारण नहीं किया जा सके = अनिवार्य [HSLC-2016]
- कहानी लिखने वाला व्यक्ति – कहानीकार [HSLC-2016] .
- आकाश में विचरनेवाला = खेचर।
- तीन नदियों का संगम-स्थल = त्रिधारा [HSLC-2015]
- जिसमें दया नहीं है = निर्दय [HSLC-2015)
- मुंह में दूध है जिसका – दुधमुंह [HSLC-2015]
- पीत अम्वर है जिसका = पीताम्वर ।
- जो देखा नहीं जा सकता = अदृश्य।
- जो संगीत जानता है = संगीतज्ञ । [HSLC-2018, 19]
- जो कविता लिखती है = कवयित्री। [HSLC-2017]
- भोग से जिस बिह का सम्वन्ध अधिक है = भोगाली बिहु । [HSLC-2017]
- जो धोखा देता है = धोखेबाज। [HSLC-2017] .
- राजनीति करनेवाला = नेता। [HSLC-2017]
- जो कहा गया है – कथित, उक्त। [HSLC-2020]
- जो शाक आहार करता है – शाकाहारी । [HSLC-2020]
- जो लोक में संभव न हो = अलौकिक। [HSLC-2020]
- आदि से अन्त तक = आद्यान्त । [HSLC-2020]
- पढने योग्य = पाठ्य । [HSLC-2020]
- जो पीने योग्य हो = पानीय, पेय। [HSLC-2020]
- पुत्र का पुत्र = पौत्र। [HSLC-2020]
- पीत अम्वर है जिसका = पाताम्वर ।
- जो देखा नहीं जा सकता = अदृश्य।
- जो संगीत जानता है = संगीतज्ञ। [HSLC-2018, 19]
- जो कविता लिखती है = कवयित्री। [HSLC-2017]
- भोग से जिस बिहु का सम्वन्ध अधिक है = भोगाली बिहु । [HSLC-2017]
- जो धोखा देता है – धोखेबाज। [HSLC-2017] .
- राजनीति करनेवाला = नेता। [HSLC-2017]
- जो कहा गया है = कथित, उक्त । [HSLC-2020]
- जो शाक आहार करता है = शाकाहारी । [HSLC-2020]
- जो लोक में संभव न हो = अलौकिक। [HSLC-2020]
- आदि से अन्त तक = आद्यान्त। [HSLC-2020]
- पढने योग्य = पाठ्य। [HSLC-2020]
- जो पीने योग्य हो = पानीय, पेय। [HSLC-2020]
- पुत्र का पुत्र = पौत्र। [HSLC-2020]
11. मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ
हाथ धोना – (नष्ट करना)- वह अपनी जी जान से भी हाथ धो बैठा। [HSLC-’14]
ईट से ईंट बजाना-(पूरी तरह नष्ट कर डालना)- हमारे सेना ने पाकिस्थानी सेना को ईंट से ईंट बजा दिया। [HSLC-14]
सूरज को मशाल दिखाना (विख्यात व्यक्ति का परिचय देना)- कबीरदास जी जैसे कवि को प्रशंसा में कुछ कहना सूरज को मशाल दिखाना है। [HSLC-14]
तू-तू-मैं-मैं-कहना (छाक जमाना)- कोईभी काम तू-तू-मैं-मैं करके पूरा नही कर सकता।[HSLC-‘14,17]
कोंगली में आटा गोला (मुसीबत पर मसीबत पडना)- महीने के आखिरी टिन थे. पास पैस थ नहा, ऊपर स महमान आ गये- यह तो कंगाली में आटा गीला का समान है। .
अंगारे बरसना (बहुत जोर की गर्मी पड़ना)- आजकाल तो गुवाहाटी में अंगारे बरस रहे हैं।
अंगठा दिखाना (इन्कार कर देना)- सेठजी ने 500 रु. देने को कहा था. परन्तु कल लेन गया तो अंगूठा दिखा दिया।
अंगठा चूमना (खुशामद करना)- वह हमेशा अपने मालिक का अंगूठा चूमता रहता है।
.[HSLC-2020]
आँख दिखाना (डॉटना)- मैंने कोई गलती नहीं की है, मुझे आँख मत दिखाओ।
आँखों का तारा (बहुत प्यारा होना)- बच्चे माता-पिता की आखों के तारे होते हैं।
कलेजे पर पत्थर रखना (दिल मजबूत करना)- छोटे भाई के द्वारा धोखा देने पर बड़े भाई ने कलेजे पर पत्थर रख लिया।
आँखों से गिरना (इज्जत से गिर जाना)- जब से मैंने उसे रिश्वत लेते देखा है वह मेरी आँखों से गिर गया।
उल्लू बनाना ( मूर्ख बनाना)- तुमने भी उसको क्या उल्लू बनाया, मजा आ गया।
एक और एक ग्यारह (संगठन में शक्ति है)- सेनानियों ने संगठित होकर सिद्ध कर दिया कि एक और एक ग्यारह होते हैं।
पेट काटना (जबरदस्ती बचत करना)- लोग पेट काटकर भी अपने बच्चों को पढ़ाते है।
ऊची दुकान फीका पकवान (कोड दिखावट के लिए बड़प्पन का ढोंग . बनाये रखने वाले पर ताना)- विज्ञापन तो इतना बड़ा दिया था, लगता था कोई अहुत बड़ा व्यापारी कम्पनी होगी लेकिन निकाली एक दुकान। इसे ही कहते है। ऊँची दुकान, फीका पकवान।
बाय हाथ का खेल(अत्यंत सरल काम)- लोगों को मूर्ख वनाना तो उसके बायें हाथ का खेल है।
श्रीगणेश होना (काम आरम्भ होना)- आज से इस योजना का श्रीगणेश होता है।
[HSLC-’15, ’18,]
पाव पर कुल्हाडी.मारना (अपन काम नष्ट करना)- रमेश अपना सब धन जुए में गंवा देकर अपने पाँव पर कुल्हाड़ा मार दिया ह
आँखे बदल जाना (पहले से उलट व्यवहार करना)- बाप के मरते ही रिश्तदारों की बेटे के प्रति आँखे बदल गया। [HSLC-’15]
घड़ी समीप होना ( अंतिम समय ) – बुढ़े को अभि घड़ी समीप हो गया। . [HSLC-15]]
नौ-दो ग्यारह होना (चम्पट होना)- लोग दोडे कि चोर नौ-दो ग्यारह हो गये। [HSLC-’16, 18, 19]
दंग रह जाना (चकित रह जाना)- जादुगर के करिश्मे देखकर सब दंग रह [HSLC-’16, ’18]
अपने पाँवों पर खड़ा होना (श्वावलम्बी होना)- अपनी तरक्की के लिए अपने पैरों पर खडे होना जरूरी है।
[HSLC-’16, 18]
हवा से बातों करना ( बहुत तेज दौड़ जाना)- गाड़ी रवाना हुई और थोड़ी ही देर में हवा से बातें करने लगी।[HSLC-’16]
अधे की लकुटी (एक ही साहारा)- भाई, तो अब हमारा अधे की लकुटी (HSLC-’17]
दाल में काला होना (कछ संदेह)- जब रमेश नहीं आया तो मैंने समझ लिया कि दाल में कुछ काला है।[HSLC-’17]
हात धोना (प्रभाव जमाना)- मेरे ऊपर हाथ धोकर क्यो पडा है? [HSLC-17]
किताब का कीड़ा होना ( पढ़ने की सिवा कुछ न करना)- रमेश तो अब किताब का कीड़ा हो गया है।[HSLC-2020] .
पहाड़ टूट परना ( भारी बिपत्ति आना)- उच बेचारे पर तो दुःखो का पहाड टुट पड़ा।
– [HSLC-2020
हथियार डालना ( हार मान लेना)- शत्रु को सामने उसने हथियार डाल दिये।
[HSLC-2020]
12. वाक्य शुद्धिकरण
शुद्ध भाषा बोलने और लिखने के लिए वाक्य का शुद्ध होना आवश्यक है। हिन्दी भाषा में वाक्य संबंधी सामान्य अशुद्धियाँ निम्नलिखित होती हैं
1.लिंग संबंधी अशुद्धियाँ ..
1. अशुद्ध – यह पुस्तक मैं पढ़ा हूँ।
शुद्ध – यह पुस्तक मैंने पढी है।
2. अशुद्ध – उनके बहनजी दिल्ली में रहती हैं।
शुद्ध – उनकी बहनजी दिल्ली में रहती हैं।
2. वचन संबंधी अशुद्धियाँ
1. अशुद्ध – प्राण निकल गया।
शुद्ध – प्राण निकल गए
अशुद्ध – तुमने अनेकों बार गलती की है।
शद्ध तुमने अनेक बार गलती की है।
3. संज्ञा संबंधी अशुद्धियाँ
1.अशुद्ध – कल हमारे विद्यालय में मंत्री आ रहे हैं।
शद्ध – कल हमारे विद्यालय में मंत्री आ रहे हैं।
2. अशुद्ध – एक फूलों की माला लाओ।
शुद्ध – फूलों की एक माला लाओ।
3. अशुद्ध .- मेरे को दिल्ली जाना है। [HSLC-2016]
शुद्ध – मुझे दिल्ली जाना है।
4. सर्वनाम संबंधी अशुद्धियाँ
1.अशुद्ध – तुम्हारे को यह बात समझनी चाहिए।
शुद्ध – तुम्हें यह बात समझनी चाहिए।
2. अशुद्ध – उन्हीं से नहीं नाचा जाता .
शुद्ध – उनसे नहीं नाचा जाता।
३. अशुद्ध – उसने बोला था। [HSLC-2020]
शुद्ध – उसने कहा था।
5. कारक संबंधी अशुद्धियाँ
1. अशुद्ध – क्या तुम भोजन किया?
शुद्ध – क्या तुमने भोजन किया?
2. अशुद्ध – राधा कहानी नहीं सुनाई।
शद्ध – राधा ने कहानी नहीं सुनाई।
6. पुरुष संबंधी अशुद्धियाँ
1. अशुद्ध – मैं और तुम साथ-साथ बैठेंगे।
शुद्ध – तुम और मैं साथ-साथ बैठेंगे।
2. अशुद्ध – मैं, तुम और वह जाएँगे।
शुद्ध – तुम, वह और मैं जाएँगे।
3. अशुद्ध __ – श्रीकृष्ण के अनेकों नाम है
शुद्ध – श्रीकृष्ण के अनेक नाम है।
7. विशेषण विशेष्य संबंधी अशुद्धियाँ
1. अशुद्ध – वह आगामी रविवार को मेला देखने गया था।
शुद्ध – वह आगामी रविवार को मेला देखने जाएगा।
2. अशुद्ध – उसने ताजे गन्ने का रस लिया।
शुद्ध .- उसने गन्ने का ताजा रस लिया।
8. क्रिया विशेषण संबंधी अशुद्धियाँ
1. अशुद्ध – सारे दिन भर वह खेलता था।
शुद्ध – वह दिन भर खेलता रहा।
2. अशुद्ध – श्याम अवश्य ही आ जाएगा।
शुद्ध – श्याम अवश्य आ जाएगा।
3. अॅशद्ध – गत रविवार को वह मुम्बाई जाएगा। [HSLC-2016)
शद्ध – अगले रबिबार वह मुम्बाई जाएगा।
9. क्रिया संबंधी अशुद्धियाँ
1. अशुद्ध – मैं आप की श्रद्धा करता हूँ।
शुद्ध – मैं आप पर श्रद्धा करता हूँ।
2. अशद्ध – वह दर्शन देने आया था।
शुद्ध – वह दर्शन देने आया था।
10. अनावश्यक शब्दों के प्रयोग संबंधी अशुद्धियाँ
1. अशुद्ध – दोनों भाई परस्पर आपस में लड़ते रहते हैं।
शुद्ध – दोनों भाई परस्पर लड़ते रहते हैं।
2. अशुद्ध- वह लौट कर वापस आ गया।
शुद्ध- वह लौट आया।
3. अशुद्ध – तुम वापस लौटो।
शुद्ध – तुम वापस जाओ।
13. वाक्य परिवर्तन
प्रश्न. 1. रचना के आधार पर वाक्य को कितने भागों में बाँटा गया है ? प्रत्येक की परिभाषा उदाहरण सहित लिखो।
उत्तर : रचना के आधार पर वाक्य को तीन भागो में बाँटा गया है।
(1) माल वाक्य (2) संयक्त वाक्य और (3) मिश्रवाक्य।
(1) सरल वाक्य : जिस वाक्य में एक ही क्रिया और एक ही की होता है उसे सरल या साधारण वाक्य कहा जाता है। जैसे- रमेश पडता है।
(2) संयुक्त वाक्य : जिस वाक्य में साधारण वाक्य संयोजक से ओर कर ‘ एक वाक्य बनता है, उसे ‘संयुक्त वाक्य’ कहा जाता है। जैसे- वह पढ़ रहा है क्योंकि उसे परीक्षा देना है।
(3) मिश्रवाक्य : जिस वाक्य में एक साधारण वाक्य के अतिरिका उसके अधीन कोई दूसरा अंगवाक्य हो, उसे ‘मिश्र वाक्य’ कहते है। जैसे- यह वहा लड़की है जिसने सच कहा था।
प्रश्न 2. सरल वाक्य से संयुक्त वाक्य में परिवर्तन :
(क) सरलवाक्य – सुरेश के आ जाने से सव प्रसन्न हो गए।
संयुक्तवाक्य – सुरेश आ गया अतः सब प्रसन्न हो गए।
(ख) सरल वाक्य– सूय क डूबने पर अंधेरा छा गया।
संयुक्त वाक्य- सूर्य डूबा और अंधेरा छा गया।
(ग) सरल वाक्य : मैं अपने शेष जीवन कोलकाता में बिताऊँगा।
संयक्त वाक्य : मैं कोलकाता जाऊँगा और अपना शेष जीवन वहीं विताऊँगा।
(घ) सरल वाक्य : सवेरा होने पर सब जाग जाते हैं।
संयुक्त वाक्य: सवेरा होता है और सब जा तिा है और सव जाग जाते है।
(ङ) सरल वाक्य : आप बाहर बैठ कर पिताजी की प्रतीक्षा करें।
संयुक्त वाक्य : आप बाहर बैठे और पिताजी की प्रतीक्षा करें।
प्रश्न 3. संयुक्त से सरल वाक्य में परिवर्तन करो।
(क) संयुक्त वाक्य : वह आया और चला गया।
सरल वाक्य : वह आकर चला गया।
(ख) सरल वाक्य- सवेरा होने पर सब जाग जाते हैं।
.संयुक्त वाक्य- सवेरा होता है और सब जाग जाते हैं।
(ग) सरल वाक्य- आप बाहर बैठ कर पिताजी की प्रतीक्षा करें।
संयुक्त वाक्य- आप बाहर बैठे और पिताजी की प्रतीक्षा करें।
2.संयुक्त से सरल वाक्य
1. संयुक्त वाक्य- मास्टर जी कक्षा से निकले और घर चले गए।
सरल वाक्य- मास्टर जी कक्षा से निकल कर घर चले गए।
संयुक्त वाक्य- सवेरा हुआ और मैं उठ गया।
सरल वाक्य- सवेरा होते ही मैं सोकर उठ गया।
3. सरल वाक्य से मिश्र वाक्य
1. सरल वाक्य- परिश्रमी विद्यार्थी सफल होते हैं।
मिश्र वाक्य- जो विद्याथी िपरिश्रमी होते हैं वे सफल होते हैं।
सरल वाक्य- कमाने वाला खाएगा।
मिश्र वाक्य- जो कमाएगा सो खाएगा।
सरल वाक्य- वह फल खरीदने बाजार गया।
मिश्र वाक्य- क्योंकि उसे फल खरीदना था इसीलिए वह बाजार गया।
सरल वाक्य- गाडी छट जाने का कारण वह लौट आया।
मिश्र वाक्य- क्योंकि गाडी छुट गई इसीलिए वह लौट आया।
सरल वाक्य- उसका सब कुछ खो गया।
मिश्र वाक्य- उसके पास जो कुछ था, वह सब कुछ खो गया।